Ticker

6/recent/ticker-posts

भगवदगीता - अध्याय 6, श्लोक 27 (Bhagwadgeeta Adhyay 6, Shlok 27 in Hindi)

भगवदगीता  - अध्याय 6, श्लोक 27
Bhagwadgeeta Adhyay 6, Shlok 27 in Hindi

भगवदगीता  - अध्याय 6, श्लोक 27 Bhagwadgeeta Adhyay 6, Shlok 27 in Hindi, geeta shlok in hindi, geeta adhyay 6 shlok 27 hindi me, geeta gyan hindi me
Bhagwadgeeta Adhyay 6, Shlok 27 in Hindi

प्रशान्तमनसं ह्येनं योगिनं सुखमुत्तमम्‌ ।
उपैति शांतरजसं ब्रह्मभूतमकल्मषम्‌ ॥

श्री भगवान ने कहा ...

क्योंकि जिसका मन भली प्रकार शांत है, जो पाप से रहित है और जिसका रजोगुण शांत हो गया है, ऐसे इस सच्चिदानन्दघन ब्रह्म के साथ एकीभाव हुए योगी को उत्तम आनंद प्राप्त होता है । 

- भगवदगीता  
- अध्याय 6, श्लोक 27
Reactions

Post a Comment

0 Comments