अभिवादन शीलस्य नित्यं वृधोपसेविन
(Abhivadan sheelasya - Subhashitani)
About this Shlok
प्रस्तुत श्लोक भारतीय सनातन संस्कृति में वर्णित नीति और सुभाषित वचनों के लिया गया है | इसमें अभिवादन करने से मिलने वाले फल की बात की गई है |
श्लोक इस प्रकार से है :-
अभिवादन शीलस्य नित्यं वृधोपसेविन |
चत्वारि तस्य वर्धन्तॆ आयुर्विद्या यशॊ बलम् ||
अर्थ इस प्रकार से है :-
जो व्यक्ति नित - प्रतिदिन अपने माता - पिता, गुरुजनों एवं अपने से बड़ों अर्थात् बुजुर्गों का अभिवादन करने वाला है अर्थात्
उनका सम्मान करने वाला है, उसके ये निम्न चार बढ़ते हैं |
१. आयु
२. विद्या
३. यश
४. बल
संदेश :-
सनातन शास्त्रों एवं ग्रंथों के अनुसार समाज में सामाजिक समरसता बनाए रखने और सबके मन से अभिमान को समाप्त करने के उद्देश्य से अभिवादन अर्थात् सबको सम्मान देने की बात कही गई है | यदि हम सबको सम्मान देते हैं, और उपरोक्त प्रतिष्ठित व्यक्तियों का सदाचार पूर्वक अभिवादन करते हैं, तो हमारे जीवन में प्रेम और समृद्धि की वृद्धि होगी |
© आशीष उपाध्याय ' एकाकी '
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश
0 Comments
Please do not enter any spam link in the comment box.
Emoji