सामाजिक कविता - (ये तो कोई और है)
Best Social Poem in Hindi - Samajik Kavita
Best Social Poem in Hindi - Samajik Kavita |
About this Poem
"ये तो कोई और है |" कवि आशीष उपाध्याय "एकाकी" के द्वारा रचित एक सामाजिक कविता है | इस कविता में विद्यार्थियों, किसानों और आम आदमी के मर्म को समझाते हुए प्रशासन को कमियों को प्रकाशित किया गया है |
पुलिस के हाथ में लाठी है
पर चलाता कोई और है।
अन्न उगाता है किसान,
पर खाता कोई और है।।
कई सदियों से जल रहा है,
देश मेरा,
पूरब से पश्चिम तक।
सबकी नजर मुझपे है,
पर जलाता कोई और है।।
विद्यार्थियों के जीवन से खिलवाड़ करने वाला,
बैठा है ऊँची कुर्सी पे,
ये जो बोली लगाता है,
इन छोटी - छोटी गलियों में,
ये तो कोई और है।।
© कवि आशीष उपाध्याय "एकाकी"
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश
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