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सम्पत्तौ च विपत्तौ च महतामेकरूपता (Sampato cha vipato mahtamekrupta)

सम्पत्तौ च विपत्तौ च महतामेकरूपता 
 (Sampato cha vipato mahtamekrupta)

sampato cha vipato mahtamekrupta, सम्पत्तौ च विपत्तौ च महतामेकरूपता | उदये सविता रक्तो रक्त:श्चास्तमये तथा || sanskrit shlok in hindi , sanskrit hindi
Sampato cha vipato mahtamekrupta

About
इस श्लोक में महान व्यक्ति के मनोस्थिति को बताया गया है |

सम्पत्तौ च विपत्तौ च महतामेकरूपता |
उदये सविता रक्तो रक्त:श्चास्तमये तथा ||
अर्थ 
महान व्यक्तियों का ये विशेष गुण होता है, कि वे सुख और दुख दोनों में समान रहते हैं, घबराते नहीं | जिस प्रकार सूर्य उगने पर भी लाल रहता है और जब डूबता है तब भी लाल रहता है |

संदेश - 
हमें सदा एकाग्रचित रहना चाहिए और जीवन का आनंद लेना चाहिए |

© कवि आशीष उपाध्याय "एकाकी"
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश 

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