Ticker

6/recent/ticker-posts

सेवितव्यो महावृक्षः फलच्छायासमन्वितः (Sevitavyo mahavriksh falchhayasamanvitah)

सेवितव्यो महावृक्षः फलच्छायासमन्वितः 
(Sevitavyo mahavriksh falchhayasamanvitah)

sevitavyo mahavriksh falchhayasamanvitah, सेवितव्यो महावृक्षः फलच्छायासमन्वितः । यदि दैवात् फलं नास्ति छाया केन निवार्यते ।। sanskrit shlok in hindi
Sevitavyo mahavrikshah falachhayasamanvita

About
इस श्लोक में निस्वार्थ भाव से कर्म करने की ओर किया गया है |

सेवितव्यो महावृक्षः फलच्छायासमन्वितः ।
यदि दैवात् फलं नास्ति छाया केन निवार्यते ।।

अर्थात्
 ऐसा महान वृक्ष जो फल और छाया दोनों देनेवाले हैं उनकी सेवा अर्थात् ऐसे वृक्ष को लगाना चाहिए | यदि किसी कारणवश हमारे भाग्य में फल आता तो छाया कौन लेकर जा सकता है ? अर्थात् वृक्ष की छाया सदैव बनी रहेगी जो हमेशा हमें शीतलता प्रदान करती रहेगी |

संदेश
हमें निस्वार्थ भाव से सत्कर्म करना चाहिए | यदि हम ऐसा करते हैं तो हमें असीम आनंद की प्राप्ति होगी और अंततः उस कार्य का फल भी मिलेगा |

© कवि आशीष उपाध्याय "एकाकी"
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश 

Reactions

Post a Comment

0 Comments