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नवग्रह शांति मंत्र - हिंदी (ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरांतकारी भानु: शशि भूमि सुतो बुधश्च - Navgrah Shanti mantra)

नवग्रह शांति मंत्र - हिंदी (ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरांतकारी)
Navgrah Shanti mantra in Hindi

Navgrah mantra in hindi - ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरांतकारी भानु: शशि भूमि सुतो बुधश्च। नवग्रह शांति मंत्र - navgrah prarthana -navgrah mantra in hindi
Navgrah Shanti mantra in Hindi

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भारतीय प्राचीन शास्त्रों के अनुसार सभी नौ ग्रहों का पूरे ब्रम्हांड पर अनुकूल और प्रतिकूल असर पड़ता है | सभी ग्रह सनातन सभ्यता एवं संस्कृति में देव माने जाते हैं | प्राचीन मान्यताओं के अनुसार यदि हम सभी ग्रहों की स्तुति करें और उन्हें प्रसन्न करें तो हमारे मार्ग में आने वाली सारी बाधाएं और कष्ट उनके शुभाशीष से स्वतः नष्ट हो जाते हैं | अतः सभी शुभ कार्यों में नव ग्रहों की स्तुति प्राचीन काल से ही की जाती चली आ रही है | प्रस्तुत नवग्रहों की स्तुति से सबकी उन्नति होती है | 

नवग्रह स्तुति इस प्रकार से है - 

ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरांतकारी भानु: शशि भूमि सुतो बुधश्च।
गुरुश्च शुक्र शनि राहु केतव सर्वे ग्रहा शांति करा भवंतु ।।

अर्थ इस प्रकार से है -
ब्रम्हा, विष्णु और भगवान शिव, सूर्य, चंद्रमा, भूमि सुत यानी मंगल , बुद्ध, गुरु, शुक्र, शनि राहु और केतु सभी ग्रहों की शांति करें और हमारी रक्षा करें |

संदेश - 
हमें नवग्रहों की शांति के लिए और अपने उत्थान के लिए इस मंत्र का जाप प्रतिदिन करना चाहिए |
और अपने भौतिक जीवन में भी ये मंथन एवं विचार करना चाहिए, कि हमारी वजह से कभी किसी को
 कोई कष्ट ना पहुंचे |

नहीं तो हमारे वे सभी कार्य विफल हो जाएंगे जो हम अपनी शांति के लिए कर रहे हैं |

© कवि आशीष उपाध्याय "एकाकी"
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश 
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