Mercy Poem in hindi
mercy poem in hindi by william shakespeare |
The quality of mercy is not strained;
It droppeth as the gentle rain from heaven
Upon the place beneath. It is twice blest;
It blesseth him that gives and him that takes:
‘T is mightiest in the mightiest;
it becomes
The throned monarch better than his crown:
His sceptre shows the force of temporal power,
The attribute to awe and majesty,
Wherein doth sit the dread and fear of kings;
But mercy is above this sceptred sway;
It is enthronèd in the hearts of kings,
It is an attribute to God himself;
And earthly power doth then show likest God’s
When mercy seasons justice.
- By William Shakespeare
व्याख्या :-यहां शेक्सपियर ने पोर्टिया के माध्यम से दया की गुणवत्ता का वर्णन किया है| वह कहती हैं, कि, दया मानव हृदय की गुणवत्ता है, यह स्वाभाविक रूप से दिल से निकलती है , जिस प्रकार पृथ्वी पर आकाश से हल्की बारिश होती है | दया दोनों व्यक्तियों को परस्पर आनंद देने वाली होती है। जो व्यक्ति दया दिखाता है, या फिर जिस व्यक्ति पर दया दिखाई जाती है | शक्तिशाली व्यक्तियों का ये स्वाभाविक गुण होता है, कि , वे दयावान होते हैं |
वह कहती है कि शक्तिशाली व्यक्ति के पास महान शक्तियॉं होती हैं , लेकिन दया सबसे उत्तम गुण है | जब एक राजा अपने सिर पर मुकुट के साथ अपने सिंहासन पर बैठता है, तो उसका मुकुट और सिंहासन उसे अधिक शक्ति देता है और उसे मजबूत और बड़ा बनाता है और उसके हाथ में छड़ी का होना सूचित करता है ,कि इस धरती पर उसका बड़ा अधिकार है, लोग उससे डरते हैं | लेकिन दया की शक्ति राजा की शक्ति से अधिक मजबूत और बड़ी होती है। इसलिए एक राजा को दयावान होना चाहिए |
लेकिन दया की गुणवत्ता राजा की छड़ी और उसके अधिकार की शक्ति से भी बड़ी होती है |
यह राजाओं के दिल स्थित होती है| दया ईश्वर का ही गुण है और जब कोई राजा दया के साथ न्याय करता है,तो उसकी शक्ति स्वयं ईश्वर की शक्ति के रूप में प्रकट होती है |
व्याख्या - कवि आशीष उपाध्याय "एकाकी "
:-सन्देश :-दया धर्म का मूल है पाप मूल अभिमान | तुलसी दया न छांड़िए ,जब तक घट में प्राण ||- गोस्वामी तुलसीदास
1 Comments
*I feel good after reading this
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