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Friends and Flatterers poem in hindi

Friends and Flatterers poem in hindi


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Every one that flatters thee
Is no friend in misery.
Words are easy, like the wind;
Faithful friends are hard to find:

Every man will be thy friend
Whilst thou hast wherewith to spend;
But if store of crowns be scant,
No man will supply thy want.

If that one be prodigal,
Bountiful they will him call,
And with such-like flattering,
‘Pity but he were a king;’

But if Fortune once do frown,
Then farewell his great renown
They that fawn’d on him before
Use his company no more.

He that is thy friend indeed,
He will help thee in thy need:
If thou sorrow, he will weep;
If thou wake, he cannot sleep;

Thus of every grief in heart
He with thee doth bear a part.
These are certain signs to know
Faithful friend from flattering foe.

                                                               
 - By William Shakespeare


प्रस्तुत कविता में अंग्रेजी के विश्वविख्यात कवि William Shakespeare ने सच्चे एवं चाप्लूस मित्रों के लक्षणों को बहुत ही सहजता से समझाने का सफल प्रयास किया है |  

1. कवि कहते हैं कि जो  व्यक्ति चापलूस है, वो कभी आपका मित्र नहीं हो सकता | क्योकि किसी को "मित्र" कह देना बस आसान नहीं होता, बल्कि मित्रवत व्यवहार रखना पड़ता है।  चापलूस व्यक्ति तो उस हवा के झोंके की तरह है , जो आता है और अपनी स्वार्थ सिद्धि के पश्चात चला जाता है , परन्तु  वफादार मित्रों का जीवन में मिलना बहुत ही दुर्लभ है। 

2. आपके पास खर्च करने के लिए पर्याप्त धन होने पर वो हर व्यक्ति आपका मित्र बनना चाहेगा, जो चापलूस है।लेकिन जब आपके पास उनके जरूरतों को पूरा करने के लिए पैसे नहीं होंगे तो वही चापलूस मित्र जो आप के लिए सर्वस्व न्योछावर करने की बात करते थे, आपका साथ छोड़ देंगे और आपसे बात तक नहीं करेंगे। 

3.   यदि कोई बहुत ही खर्चीला है और उसके पास पर्याप्त पैसे हैं, तो उसके सारे चापलूस मित्र अपनी स्वार्थ सिद्धि हेतु उसे भगवान के द्वारा भेजा गया उपहार मानते हैं तथा उस मुर्ख व्यक्ति की ख़ुशामद करते-करते उसे महान बना देते हैं ,और वो व्यक्ति खुद को महान  समझने भी लगता है। 

4. कवि कहते हैं, अगर अगर खर्चीले व्यक्ति की किस्मत बदल गयी अर्थात यदि वह धनवान से गरीब हो गया, या उसके पैसे ख़त्म  हो गए, तो अपने उन्ही चापलूस मित्रों  में वो दीन हो जायेगा और उसके वही दोस्त उससे पहचानने से भी इंकार कर देंगे। उसका साथ छोड़ देंगे। 

5. कवि सच्चे मित्र की विशेषता बताते हुए कहते है कि आपका सच्चा मित्र वही है जो आपके कठिन समय में भी आपके आपके काम आए, भले ही वह ख़ुशी के पलों में आपके साथ न हो। अगर आप दुखी होते हैं तो आपका प्रिय मित्र रोएगा और यदि आप जाग रहे होते हैं तो आपका मित्र आपको अकेला दुखी छोड़ के सो नहीं सकता। 

. कविता की अंतिम पंक्तियों में कवी कहते हैं, कि अगर आप दुखी हैं तो इस मुश्किल घडी में आपका सच्चा मित्र आपसे अलग कभी नहीं होगा और आपकी हर बातों को बहुत ही चिंतन के साथ समझेगा। 
उपरोक्त आचरण ही चापलूस(धूर्त ) और सच्चे मित्र की पहचान कराते हैं। 

         (व्याख्या : कवि आशीष उपाध्याय "एकाकी")

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