मेरा आईना (मोटिवेशनल कविता)
Motivational Short Poem in Hindi
Motivational Short Poem in Hindi |
आईना देखकर निकला जब, मैं घर से,
रस्ते में मिला मुझे, मेरा आईना।
कहीं धुप मिली, कहीं छाँव मिली ,
किसी की आह ने , सिखा दिया जीना।
रस्ते में मिला मुझे, मेरा आईना।
किसी के जख्म, किसी के दर्द नें ,
झकझोर दिया मुझको।
किसी के आँसुओं के जल ने ,
व्याकुल किया मन को।
हृदय की धड़कनों को गिनना,
और लिखना चाहा जब-जब।
ढूढ़ता रह गया लेकिन मुझे,
मिला नहीं सफ़ीना।।
ऐसी व्याकुलता ने फिर मुझे,
दिखा दिया आईना |
रस्ते में मिला मुझे, मेरा आईना।
गया जब भी जहाँ जब-जब ,
बहुत पीड़ा हुई तब-तब।
शहर की गलियों में देखा,
गाँव की झोपड़ियों मे देखा ।।
आलिशान महलों में आबाद,
तो किसी को,
रोटी के लिए मोहताज़ देखा।
पूछता हूँ, खुदा से मैं ,
कैसा ये खेल है अनोखा,
किसी को खुशियाँ ही मिली,
किसी को ज़िंदगी या धोखा।।
रो-पड़ा जब मैं, ये सब देखकर,
तब था सावन का महीना।
हर मोड़ पर ज़िन्दगी ने मुझको ,
दिखा दिया आईना।।
रस्ते में मिला मुझे, मेरा आईना |
© कवि आशीष उपाध्याय "एकाकी"
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश
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