Ticker

6/recent/ticker-posts

भगवदगीता अध्याय 1, श्लोक 37 - (तस्मान्नार्हा वयं हन्तुं धार्तराष्ट्रान्स्वबान्धवान्‌)

भगवदगीता अध्याय 1, श्लोक 37 - (तस्मान्नार्हा वयं हन्तुं धार्तराष्ट्रान्स्वबान्धवान्‌)
Bhagwadgeeta Adhyay 1, Shlok 37


भगवदगीता अध्याय 1, श्लोक 37 - (तस्मान्नार्हा वयं हन्तुं धार्तराष्ट्रान्स्वबान्धवान्‌) Bhagwadgeeta Adhyay 1, Shlok 37 geeta shlok in hindi, geeta gyan
Bhagwadgeeta Adhyay 1, Shlok 37


तस्मान्नार्हा वयं हन्तुं धार्तराष्ट्रान्स्वबान्धवान्‌ ।
स्वजनं हि कथं हत्वा सुखिनः स्याम माधव ॥

अर्जुन, कौरव सेना के सभी योद्धाओं के देखकर श्रीकृष्ण से कहते हैं कि........

इसलिए हे माधव ! अपने ही बान्धव (भाई) धृतराष्ट्र के पुत्रों को मारने के लिए हम योग्य नहीं हैं, क्योंकि अपने ही कुटुम्ब को मारकर हम कैसे सुखी होंगे ?

- भगवतगीता 
- अध्याय 1, श्लोक 37
Reactions

Post a Comment

0 Comments