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चरण कमल बंदौ हरि राइ की व्याख्या - charan kamal bando hari rai vyakhya

चरण कमल बंदौ हरि राइ की व्याख्या
Explanationation of Charan Kamal Bando Hari rai in Hindi

चरण कमल बंदौ हरि राइ की व्याख्या Explanationation of Charan Kamal Bando Hari rai in Hindi, charan kamal bando hari rai in hindi, charan kamal hari raiचरन कमल बंदौ हरि राइ। जाकी कृपा पंगु गिरि लंघै , अंधे कौ सब कुछ दरसाइ॥ बहिरौ सुनै , गूँग पुनि बोलै , रंक चलै सिर छत्र धराइ। सूरदास स्वामी करूनामय , बार - बार बंदौं तिहिं पाइ॥charan kamal bando hari rai vyakhya, charan kamal bando hari rai meaning, charan kamal bando hari rai ka kya arth hai, charan kamal bando hari rai art
Charan Kamal Bado Hari Rai Ka Arth

About
यह पद श्री कृष्ण भक्त शिरोमणि सूरदास जी की भक्ति और ज्ञान की उपज है | इसमें सूरदास जी ने श्री कृष्ण जी की करुणामयी प्रतिमूर्ति स्थापित किया है |

चरन कमल बंदौ हरि राइ।
जाकी कृपा पंगु गिरि लंघै , अंधे कौ सब कुछ दरसाइ॥
बहिरौ सुनै , गूँग पुनि बोलै , रंक चलै सिर छत्र धराइ।
सूरदास स्वामी करूनामय , बार - बार बंदौं तिहिं पाइ॥


व्याख्या :-
सूरदास जी अपने आराध्य श्री कृष्ण के पावन कमल रूपी चरणों की वंदना करते हुए उनको करुणामय मालिक बताकर कहते हैं, कि मेरे कृष्ण ऐसे हैं, जिनकी कृपा से लंगड़ा व्यक्ति पर्वत को लांघ जाता है, अंधे को सब कुछ दिखने लगता है, बहरा व्यक्ति सुनने लगता है, गूंगा फिर से बोलने लगता है और भिखारी सिर पर छत्र धारण करने लगता है अर्थात अत्यंत दीन हीन गरीब व्यक्ति भी धनवान हो जाता है |

संदेश :-
ईश्वर पर विश्वास रखें आपकी सभी आस पूरी होगी |

- कविवर सूरदास 
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