राही हूँ, चलता हूँ मैं
Best Self motivational poems in hindi
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राही हूँ ,
अकेला हूँ ,
इसलिए, चलता हूँ मैं,
न चाहत है, किसी चीज़ की ,
न कुछ खोने का है गम |
अब तो, ये आश भी न बची,
कि, कोई बन जाये अपना हमदम |
इसलिए, चलता हूँ मैं .........
विश्वास, विष की जननी बन गयी,
आशा, निराशा लेकर आयी जीवन में |
मन भटक रहा है, हिरन बनकर ,
तेरी विस्मृत यादों के आंगन में |
इसलिए चलता हूँ मैं ......
समयवेग के साथ परिस्थितियाँ बदलीं,
मौसम बदल गया, मेरे जीवन कानन का |
इस बदलते परिवेश में, मैं भी यारों,
बदल गया हूँ , हल्का-हल्का ||
अब, अपनी राह, चलता हूँ मैं....
तुम नहीं , ज़माना नहीं,
तो, क्या हुआ ?
खुद से, अपनी बात कहता हूँ मैं,
हाँ, अब, अपने साथ चलता हूँ मैं ||
राही हूँ , चलता हूँ मैं....
© आशीष उपाध्याय "एकाकी"
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश
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