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भगवदगीता अध्याय 2, श्लोक 50 - (बुद्धियुक्तो जहातीह उभे सुकृतदुष्कृते)

भगवदगीता अध्याय 2, श्लोक 50 - (बुद्धियुक्तो जहातीह उभे सुकृतदुष्कृते)
Bhagwadgeeta Adhyay 2, Shlok 50 in Hindi

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Bhagwadgeeta Adhyay 2, Shlok 50 in Hindi

बुद्धियुक्तो जहातीह उभे सुकृतदुष्कृते ।
तस्माद्योगाय युज्यस्व योगः कर्मसु कौशलम्‌ ॥

श्री भगवान ने अर्जुन से कहा, कि......

समत्व बुद्धि-योग के द्वारा मनुष्य इसी जीवन में अपने-आप को पुण्य और पाप कर्मों से मुक्त कर लेता है। अत: तू इसी योग में लग जा, क्योंकि इसी योग के द्वारा ही सभी कार्य कुशलता-पूर्वक पूर्ण होते है |

- भगवतगीता
- अध्याय 2, श्लोक 50

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