Ticker

6/recent/ticker-posts

भगवदगीता अध्याय 2, श्लोक 56 - (दुःखेष्वनुद्विग्नमनाः सुखेषु विगतस्पृहः)

भगवदगीता अध्याय 2, श्लोक 55 - (दुःखेष्वनुद्विग्नमनाः सुखेषु विगतस्पृहः)
Bhagwadgeeta Adhyay 2, Shlok 56 in Hindi

भगवदगीता अध्याय 2, श्लोक 55 - (दुःखेष्वनुद्विग्नमनाः सुखेषु विगतस्पृहः) Bhagwadgeeta Adhyay 2, Shlok 56 in Hindi, geeta shlok in hindi, geeta gyan
Bhagwadgeeta Adhyay 2, Shlok 56 in Hindi

दुःखेष्वनुद्विग्नमनाः सुखेषु विगतस्पृहः ।
वीतरागभयक्रोधः स्थितधीर्मुनिरुच्यते ॥

श्री भगवान्‌ ने कहा - 

दुःखों की प्राप्ति होने पर जिसके मन में उद्वेग नहीं होता, सुखों की प्राप्ति में सर्वथा निःस्पृह है तथा जिसके राग, भय और क्रोध नष्ट हो गए हैं, ऐसा मुनि स्थिरबुद्धि कहा जाता है |

- भगवतगीता
- अध्याय 2, श्लोक 56
Reactions

Post a Comment

0 Comments