प्रिय वाक्य प्रदानेन सर्वे तुष्यन्ति जन्तव :
(Priyvakya pradanen meaning in hindi)
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इस श्लोक के माध्यम से ये बताया गया है, कि हमें सदैव प्रिय अर्थात् सत्य वचन बोलने चाहिए |
प्रिय वाक्य प्रदानेन सर्वे तुष्यन्ति जन्तव : ।
तस्मात् तदेव वक्तव्यं वचने किं दरिद्रता ॥
अर्थ
प्रिय अर्थात् सत्य बोलने से सभी लोग संतुष्ट होते हैं अर्थात् सबको अच्छा सुनना अच्छा लगता है | इसलिए हमें हमेशा प्रिय ही बोलना चाहिए | यदि प्रिय बोलने से सबको खुशी होती है तो प्रिय बोलने में कैसी दरिद्रता ?
संदेश -
हमें सदैव ऐसा वचन बोलना चाहिए, जो सत्य हो और सबको प्रिय लगे जिससे किसी भी व्यक्ति को ठेस न पहुंचे और न ही उसको मानसिक पीड़ा हो |
यदि हमारे ऐसा करने से समाज में समरसता बनी रहे और सभी खुश रहें तो हमें अवश्य ही सबको प्रिय लगने वाले वचन बोलने चाहिए |
- चाणक्य निति से
© कवि आशीष उपाध्याय "एकाकी"
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश
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