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भगवदगीता अध्याय 3, श्लोक 2 - (व्यामिश्रेणेव वाक्येन बुद्धिं मोहयसीव मे)

भगवदगीता अध्याय 3, श्लोक 2 - (व्यामिश्रेणेव वाक्येन बुद्धिं मोहयसीव मे)
Bhagwadgeeta Adhyay 3, Shlok 2 in Hindi

भगवदगीता अध्याय 3, श्लोक 2 - (व्यामिश्रेणेव वाक्येन बुद्धिं मोहयसीव मे) Bhagwadgeeta Adhyay 3, Shlok 2 in Hindi, geeta shlok in hindi, geeta gyanhindi
Bhagwadgeeta Adhyay 2, Shlok in Hindi

व्यामिश्रेणेव वाक्येन बुद्धिं मोहयसीव मे ।
तदेकं वद निश्चित्य येन श्रेयोऽहमाप्नुयाम्‌ ॥

आप अनेक अर्थ वाले शब्दों से मेरी बुद्धि को मानो मोहित कर रहे हैं, अत: इनमें से मेरे लिये जो एकमात्र श्रेयस्कर हो उसे कृपा करके निश्चय-पूर्वक मुझे बतायें, जिससे मैं उस श्रेय को प्राप्त कर सकूँ |

- भगवतगीता 
- अध्याय 3, श्लोक 2
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