भगवदगीता - अध्याय 6, श्लोक 10
Bhagwadgeeta Adhyay 6, Shlok 10 in Hindi
योगी युञ्जीत सततमात्मानं रहसि स्थितः ।
एकाकी यतचित्तात्मा निराशीरपरिग्रहः ॥
श्री भगवान ने कहा ...
मन और इन्द्रियों सहित शरीर को वश में रखने वाला, आशारहित और संग्रहरहित योगी अकेला ही एकांत स्थान में स्थित होकर आत्मा को निरंतर परमात्मा में लगाए ।
- भगवदगीता
- अध्याय 6, श्लोक 10
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