Ticker

6/recent/ticker-posts

भगवदगीता - अध्याय 5, श्लोक 21 (Bhagwadgeeta Adhyay 5, Shlok 21 in Hindi)

भगवदगीता  - अध्याय 5, श्लोक 21
Bhagwadgeeta Adhyay 5, Shlok 21 in Hindi

भगवदगीता  - अध्याय 5, श्लोक 21 Bhagwadgeeta Adhyay 5, Shlok 21 in Hindi, geeta shlpk on hindi, geeta gyan, geeta adhyay 5 shlok 21 hindi me, geeta ji
Bhagwadgeeta Adhyay 5, Shlok 21 in Hindi

बाह्यस्पर्शेष्वसक्तात्मा विन्दत्यात्मनि यत्सुखम्‌ ।
स ब्रह्मयोगयुक्तात्मा सुखमक्षयमश्नुते ॥

श्री भगवान ने कहा ...

बाहर के विषयों में आसक्तिरहित अन्तःकरण वाला साधक आत्मा में स्थित जो ध्यानजनित सात्विक आनंद है, उसको प्राप्त होता है, तदनन्तर वह सच्चिदानन्दघन परब्रह्म परमात्मा के ध्यानरूप योग में अभिन्न भाव से स्थित पुरुष अक्षय आनन्द का अनुभव करता है । 

- भगवदगीता  
- अध्याय 5, श्लोक 21
Reactions

Post a Comment

0 Comments