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भगवदगीता - अध्याय 6, श्लोक 01 (Bhagwadgeeta Adhyay 6, Shlok 01 in Hindi)

भगवदगीता  - अध्याय 6, श्लोक 01
Bhagwadgeeta Adhyay 6, Shlok 01 in Hindi

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Bhagwadgeeta Adhyay 6, Shlok 01 in Hindi

अनाश्रितः कर्मफलं कार्यं कर्म करोति यः ।
स सन्न्यासी च योगी च न निरग्निर्न चाक्रियः ॥

श्री भगवान ने कहा ...

जो पुरुष कर्मफल का आश्रय न लेकर करने योग्य कर्म करता है, वह संन्यासी तथा योगी है और केवल अग्नि का त्याग करने वाला संन्यासी नहीं है तथा केवल क्रियाओं का त्याग करने वाला योगी नहीं है । 

- भगवदगीता  
- अध्याय 6, श्लोक 01
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