भगवदगीता - अध्याय 6, श्लोक 04
Bhagwadgeeta Adhyay 6, Shlok 04 in Hindi
यदा हि नेन्द्रियार्थेषु न कर्मस्वनुषज्जते ।
सर्वसङ्कल्पसन्न्यासी योगारूढ़स्तदोच्यते ॥
श्री भगवान ने कहा ...
जिस काल में न तो इन्द्रियों के भोगों में और न कर्मों में ही आसक्त होता है, उस काल में सर्वसंकल्पों का त्यागी पुरुष योगारूढ़ कहा जाता है ।
- भगवदगीता
- अध्याय 6, श्लोक 04
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