भगवदगीता - अध्याय 6, श्लोक 08
Bhagwadgeeta Adhyay 6, Shlok 08 in Hindi
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Bhagwadgeeta Adhyay 6, Shlok 08 in Hindi |
ज्ञानविज्ञानतृप्तात्मा कूटस्थो विजितेन्द्रियः ।
युक्त इत्युच्यते योगी समलोष्टाश्मकांचनः ॥
श्री भगवान ने कहा ...
जिसका अन्तःकरण ज्ञान-विज्ञान से तृप्त है, जिसकी स्थिति विकाररहित है, जिसकी इन्द्रियाँ भलीभाँति जीती हुई हैं और जिसके लिए मिट्टी, पत्थर और सुवर्ण समान हैं, वह योगी युक्त अर्थात भगवत्प्राप्त है, ऐसे कहा जाता है ।
- भगवदगीता
- अध्याय 6, श्लोक 08
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