भगवदगीता - अध्याय 6, श्लोक 22
Bhagwadgeeta Adhyay 6, Shlok 22 in Hindi
यं लब्ध्वा चापरं लाभं मन्यते नाधिकं ततः ।
यस्मिन्स्थितो न दुःखेन गुरुणापि विचाल्यते ॥
श्री भगवान ने कहा ...
परमात्मा की प्राप्ति रूप जिस लाभ को प्राप्त होकर उसे अधिक दूसरा कुछ भी लाभ नहीं मानता और परमात्मा प्राप्ति रूप जिस अवस्था में स्थित योगी बड़े भारी दुःख से भी चलायमान नहीं होता ।
- भगवदगीता
- अध्याय 6, श्लोक 22
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