भगवदगीता - अध्याय 6, श्लोक 23
Bhagwadgeeta Adhyay 6, Shlok 23 in Hindi
तं विद्याद् दुःखसंयोगवियोगं योगसञ्ज्ञितम्।
स निश्चयेन योक्तव्यो योगोऽनिर्विण्णचेतसा ॥
श्री भगवान ने कहा ...
जो दुःखरूप संसार के संयोग से रहित है तथा जिसका नाम योग है, उसको जानना चाहिए। वह योग न उकताए हुए अर्थात धैर्य और उत्साहयुक्त चित्त से निश्चयपूर्वक करना कर्तव्य है ।
- भगवदगीता
- अध्याय 6, श्लोक 23
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