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Geeta gyan

मन एव मनुष्याणां


geeta gyan in hindi

मन एव मनुष्याणां कारणं बन्धमोक्षयोः ।
बन्धाय विषयासक्तं मुक्त्यै निर्विषयं स्मृतम् ॥

 इस श्लोक में भगवान श्री हरि कृष्ण  के द्वारा अर्जुन को मन के बारे में बताया गया है | 

अर्थात् :-
 श्री कृष्ण कहते हैं कि "मन ही मनुष्य के बंधन और मुक्ति का कारण है" क्योकि अगर मन काम, क्रोध, ईर्ष्या, लोभ , पाप आदि जैसे विषयों से आसक्त है तो मनुष्य के लिए बंधन का कारण बन जाता है \,परन्तु अगर यही इन सभी विषयों से पूर्णतया दूर हो तो मोक्ष की प्राप्ति में सहायक होता है | 

सन्देश :-
 हमें सभी प्रकार के विषयों  को पूर्णतया त्यागकर स्वयं के हित के साथ- साथ राष्ट्र के लिए अपने -आप को लगाना चाहिए | 
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1 Comments

  1. आपका उपक्रम स्तुत्य है।
    मगर यह श्लोक गीता से नहीं बलकि, अमृतबिंदु उपनिषद से है।
    कृष्णार्जुन संवाद गीता मे है

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