अष्टादशः पुराणेषु व्यासस्य वचनद्वयम्
(Paropkar Punyay Papay Parpeedanam)
Propkar punyay papay parpidnam |
अष्टादशः पुराणेषु व्यासस्य वचनद्वयम् |परोपकार पुण्याय पापाय परपीडनम् ||
अर्थ :-
अट्ठारहों पुराणों में महर्षि वेदव्यास जी ने दो बातों को विशेष रूप से कहा है |
- प्रथम :- परोपकार पुण्य के लिए होता है |
- द्वितीय :- पाप दूसरों को कष्ट देने के लिए होता है |
सन्देश:-
हमें अपने जीवन में पापकर्म को पूर्णतः त्यागकर पुण्य कर्म में लग जाना चाहिए | यही मानव जीवन का एकमात्र उद्देश्य है |
© आशीष उपाध्याय ' एकाकी '
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश
1 Comments
Atiuttam
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