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माँ का चाँद (माँ पर लिखित शानदार कविता) - Poem on mother in Hindi (Maa ka Chand)

माँ का चाँद (माँ पर लिखित शानदार कविता)
 Poem on mother in Hindi (Maa ka Chand)

माँ का चाँद (माँ पर लिखित शानदार कविता) - Poem on mother in hindi maa ka chand in hindi
Poem on Mother in Hindi

वो अनुपम चांदनी रात थी,
जब मैं बालक छोटा था।।  
दिन-भर थक हार के,
माँ की गोदी में सोता था ।। 

कहती थी माँ , सो- जा मेरे लाल ,
उसको चिंता मेरी नींद की थी ।
पर मैं , माँ के आँचल के नीचे से ,
बादल में छुपे चाँद को देखा करता था ॥

ये वही चाँदनी रात थी ...

चँदा मामा भी जान गये थे,
चंचल बालक, पर प्यारा है।
माँ कहती थी,सुन लाल मेरे,
तूँ सूरज है , 
तूँ चँदा है,
 तूँ ही,
 मेरी आँखों का तारा है ॥

ये वही चाँदनी रात थी ...

समय बिता , बचपनरूठा ,
विद्यार्थी जीवन में प्रवेश हुआ ।
विद्याअर्जित करने हेतु ,
समय का, सुनियोजित निवेश हुआ।। 

तेरे वचनों में बँधा हुआ मैं,
कर्म-पथ पर चलता हूँ । 
सुख-दुःख की चिंता नहीं मुझे,
संघर्ष-त्याग नित करता हूँ ।। 

हाँ , माँ ,
मैं , 
वही तेरा लाल हूँ ...

दुलार, प्यार और ज्ञान मिला,
तुझसे माँ,
ईश्वर को न देखा कभी मैंने ,
न कभी चेष्टा करता हूँ। 
बस, तेरे प्यार का भूखा हूँ,
तेरे चरणों का सेवक हूँ ॥

हाँ , माँ ,
मैं , 
वही तेरा लाल हूँ ...

© कवि आशीष उपाध्याय "एकाकी"
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश 
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