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भगवदगीता - अध्याय 6, श्लोक 33 (Bhagwadgeeta Adhyay 6, Shlok 33 in Hindi)

भगवदगीता  - अध्याय 6, श्लोक 33
Bhagwadgeeta Adhyay 6, Shlok 33 in Hindi

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Bhagwadgeeta Adhyay 6, Shlok 33 in Hindi

योऽयं योगस्त्वया प्रोक्तः साम्येन मधुसूदन ।
एतस्याहं न पश्यामि चञ्चलत्वात्स्थितिं स्थिराम्‌ ॥

अर्जुन  ने कहा श्री भगवान ...

हे मधुसूदन! जो यह योग आपने समभाव से कहा है, मन के चंचल होने से मैं इसकी नित्य स्थिति को नहीं देखता हूँ ।

- भगवदगीता  
- अध्याय 6, श्लोक 33 
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