भगवदगीता - अध्याय 6, श्लोक 35
Bhagwadgeeta Adhyay 6, Shlok 35 in Hindi
असंशयं महाबाहो मनो दुर्निग्रहं चलम् ।
अभ्यासेन तु कौन्तेय वैराग्येण च गृह्यते ॥
अर्जुन ने कहा श्री भगवान ...
हे महाबाहो! निःसंदेह मन चंचल और कठिनता से वश में होने वाला है। परन्तु हे कुंतीपुत्र अर्जुन! यह अभ्यास और वैराग्य से वश में होता है ।
- भगवदगीता
- अध्याय 6, श्लोक 35
0 Comments
Please do not enter any spam link in the comment box.
Emoji