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भारतेंदु हरिश्चंद्र के विचार - Bhartendu Harishchand ke vichar

भारतेंदु हरिश्चंद्र के विचार - 
Bhartendu Harishchand ke vichar

Bhartendu Harishchand ke Vichar

आखिर क्यों ? भारतेन्दु हरिश्चंद क्रिसमस पर दुखी हुए ?


आज बड़ा दिन है क्रिस्तान लोगों का इससे बढ़कर कोई और दिन नहीं है | किंतु मुझको आज उल्टा और दुख है | इसका कारण मनुष्य स्वभाव सुलभ ईर्ष्या मात्र है | मैं कोई सिद्ध नहीं, कि राग द्वेष से विहीन हूं | जब मुझे अंगरेज रमणी लोग मेद सिंचित केशराशि कृत्रिम कुंतलजूट, मिथ्यारत्नभरण, विविध वर्ण से भूषित क्षीण कटिदेश कटे, निज - निज पतिगण के साथ प्रसन्न इधर से उधर फर - फर कल की पुतली की भांति फिरती हुईं दिखाई पड़ती हैं तब इस देश की सीधी - सादी स्त्रियों की हीन अवस्था मुझको स्मरण आती है और यही बात मेरे दुख का कारण होती है |

- नीलदेवी से (बाबू भारतेंदु हरिश्चंद्र)

प्रस्तुति - रोहन कुमार मिश्र "निष्पक्ष" (युवा कवि)
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