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बचपन अभी बाकी है - Best poem on bachpan in hindi

बचपन अभी बाकी है - 
Best poem on bachpan in Hindi

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Best Poem on Bachpan in hindi


जब कभी भी खुद को आईने में जबरदस्ती देखने का मनबढ़ प्रयास करता हूं, तो मुझे वो सारी बातें अचानक याद आने लगती हैं | जिनका रिश्ता कही ना कही मेरे छोटे से देहाती जीवन से है |

सुबह से लेकर शाम तक खेलने के फिराक में रहने वाला वो छोटा बच्चा याद आने लगता है, जिसके पास बहानें थोक भाव पे उपलब्ध होते थे | मानव शरीर को बानर मुख की तरह करिया बना देने वाले जेठ और बैसाख के भीषण गर्मी की दोपहर में थेथरई करके घर से बाहर जाने वालों की दुनियां में मैं पूरी विद्वान था |

आज फिर वो दिन याद आया तो दो अक्षर लिख लिया | आखिर अब वो दिन तो नहीं आयेंगे, लेकिन कुछ स्मृतियां इस यौवनशाला में कर्मों की अग्नि से तप रहे जीवन को झकझोरती रहती हैं | 

फिर कुछ याद आए तो लिखूंगा | चार पंक्तियां याद के तौर पर आप सभी देवताओं को सादर समर्पित करता
 हूं |

बीत जाते हैं लम्हें,
यादें धूमिल पड़ जाती हैं |
फिर भी ऐसा लगता है,
बचपन अभी बाकी है ||

- आपका एकाकी
(कवि आशीष उपाध्याय "एकाकी")
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