भगवदगीता अध्याय 1, श्लोक 35 - (एतान्न हन्तुमिच्छामि घ्नतोऽपि मधुसूदन)
Bhagwadgeeta Adhyay 1, Shlok 35
Bhagwadgeeta Adhyay 1, Shlok 35 |
एतान्न हन्तुमिच्छामि घ्नतोऽपि मधुसूदन ।
अपि त्रैलोक्यराज्यस्य हेतोः किं नु महीकृते ॥
अर्जुन, कौरव सेना के सभी योद्धाओं के देखकर श्रीकृष्ण से कहते हैं कि........
हे मधुसूदन ! मैं इन सभी को मारना नहीं चाहता हूँ, भले ही यह सभी मुझे ही मार डालें, तीनों लोकों के राज्य के लिए भी मैं इन सबको मारना नहीं चाहता, फिर पृथ्वी के लिए तो कहना ही क्या है ?
- भगवतगीता
- अध्याय 1, श्लोक 35
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