कामं क्रोधं तथा लोभं स्वादं श्रृंगारकौतुक
Chanakya Niti for student
कामं क्रोधं तथा लोभं स्वादं श्रृंगारकौतुके |अतिनिद्रा अतिसेवे च विद्यार्थी हयष्ट वर्जयेत् ||
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आचार्य चाणक्य ने इस श्लोक मे विद्यार्थी को काम, क्रोध आदि आठ दुर्गुणों को त्यागने के बारे में बताया है |
अर्थ :-
चाणक्य कहते हैं कि किसी भी विद्यार्थी को इन दुर्गुणों को त्याग देना चाहिए |
- काम
- क्रोध
- लालच
- स्वाद
- निद्रा
- श्रृंगार
- खेल
- अत्यधिक सेवा
सन्देश :-
किसी भी प्रकार के अवगुण विद्यार्थी को अपने लक्ष्य तक पहुंचने नहीं देते |
- चाणक्य निति से
© कवि आशीष उपाध्याय "एकाकी"
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश
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