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अवक्रता यथा चित्ते तथा वाचि भवेद् यदि (Awkrata yatha chitte in Hindi)

अवक्रता यथा चित्ते तथा वाचि भवेद् यदि 
(Awkrata yatha chitte in Hindi)

Awkrata yatha chitte in Hindi

About
इस श्लोक के माध्यम से समानता के रहस्य को बताया गया है |

अवक्रता यथा चित्ते तथा वाचि भवेद् यदि।
तदेवाहुः महात्मानः समत्वमिति तथ्यतः॥

अर्थ 
जैसे मन में वैसे ही बोलने में भी अगर अवक्रता (सीधापन) हो जाए, तो वह ही सच्ची समानता है ऐसा महात्मा लोग कहते हैं।
महात्मा लोग अर्थात् जो ज्ञानी (प्रबुद्ध) लोग हैं वे हमेशा यही बताते हैं, कि जैसा हम सोचते हैं, हमें ठीक उसी प्रकार से दूसरों से व्यवहार भी करना चाहिए | यही सच्ची समानता है | 

साधारण शब्दों में - जिस प्रकार से हमारा विचार है ठीक उसी प्रकार से हमारा आचार भी होना चाहिए | इसी को महान लोगों अर्थात् महात्माओं के द्वारा सच्ची समानता बताया गया है | 

संदेश - 
हर व्यक्ति को अपनी सोच और स्वभाव के अनुकूल सबके साथ सात्विक बर्ताव करना चाहिए |


© कवि आशीष उपाध्याय "एकाकी"
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश 

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