गुणी गुणं वेत्ति न वेत्ति निर्गुणो, बली बलं वेत्ति न वेत्ति निर्बल:
(Guni gunam n veti nirguno mean in hindi)
Guni gunam n veti nirguno mean in Hindi |
About
इस श्लोक में गुणों की व्याख्या की गई है |
गुणी गुणं वेत्ति न वेत्ति निर्गुणो, बली बलं वेत्ति न वेत्ति निर्बल: ।पिको वसन्तस्य गुणं न वायस: करी च सिंहस्य बलं न मूषक: ॥
अर्थात्
जिस प्रकार गुणी व्यक्ति है वही दूसरे के गुण और अवगुण में भेद कर सकता है, अर्थात् वही दूसरे के गुण को पहचानता है, गुणहीन पुरुष नहीं ।
जो व्यक्ति बलवान है वही दूसरे के बल को जान सकता है, न कि कोई दुर्बल व्यक्ति |
ठीक उसी प्रकार, कोयल ही वसंत ऋतु को केवल कोयल ही पहचानती है, न कि कोई कौआ | क्योंकि वसंत ऋतु आने पर कोयल मधुर गान करने लगती है और कौआ तो हमेशा कांव कांव करता रहता है |
और शेर के बल को केवल हाथी ही जान पाता है, न कि कोई चूहा |
संदेश
हमें ऐसे लोगों की संगति में रहना चाहिए, जो ज्ञानवान हों और जिन्हें गुण और अवगुण का समुचित ज्ञान हो | क्योंकि वे हमारे दुर्गुणों को दूर करने में हमारी मदद करेंगे और हमें सदाचार के मार्ग पर चलने में मदद करेंगे |
© कवि आशीष उपाध्याय "एकाकी"
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश
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