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पिता यच्छति पुत्राय बाल्ये विद्याधनं महत् (pita yakshati putray subhashitani hindi)

पिता यच्छति पुत्राय बाल्ये विद्याधनं महत्  
(Pita yakshati putray subhashitani hindi)

pita yakshati putray subhashitani hindi, पिता यच्छति पुत्राय बाल्ये विद्याधनं महत्। पिताऽस्य किंं तपस्तेपे इत्युक्तिस्तत्कृतज्ञता॥ sanskrit shlok
Pita yakshati putray subhashitani hindi


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इस श्लोक के माध्यम से एक पिता की महानता और उनके तप को बताया गया है |

पिता यच्छति पुत्राय बाल्ये विद्याधनं महत्।
पिताऽस्य किंं तपस्तेपे इत्युक्तिस्तत्कृतज्ञता॥

अर्थात्
पिता बचपन में अपने पुत्र को विद्याधन देते हैं अर्थात् उस अच्छी शिक्षा उपलब्ध कराते हैं | उस पुत्र को देखने अर्थात् उसके गुणों को देखकर कोई ये कहे, कि "इसके पिता ने इसके लिए बहुत तप किया है" तो लोगों के द्वारा यही कहना ही उस पिता के लिए उसके पुत्र की सच्ची कृतज्ञता है |

संदेश -
हर विद्यार्थी को अपने पिता का सम्मान रखना चाहिए और उनकी आज्ञा का पालन करना चाहिए और अपने सात्विक कर्मों से समाज में उनकी प्रतिष्ठा बनाए रखना चाहिए |

© कवि आशीष उपाध्याय "एकाकी"
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश 

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