य इच्छायात्मनः श्रेयः भूतानि सुखानि च
(Ya Ichhayatmanah Shreyah in Hindi)
Ya Ichhayatmanah Shreyah in Hindi |
About
इस श्लोक में अपने हित के लिए किसी भी व्यक्ति को कष्ट न देने की बात कही गई है |
य इच्छायात्मनः श्रेयः भूतानि सुखानि च |
न कुर्यादहितं कर्म स परेभ्यः कदापि च ||
अर्थात्
जो व्यक्ति अपना कल्याण चाहता है और बहुत सारा सुख प्राप्त करना चाहता है अर्थात् अपने लिए बहुत सारे सुखों को इच्छा रखता है, वह दूसरों के लिए अकल्याणकारी कार्य कभी न करे |
साधारण शब्दों में -
यदि कोई ऐसा व्यक्ति है जो केवल अपना हित चाहता है और स्वयं के कल्याण के साथ - साथ बहुत सारे सुख चाहता है, तो उसे ये किसी भी प्रकार से अपने सुखों के लिए दूसरों को कष्ट नहीं देना चाहिए |
संदेश -
सबके हित के लिए सोचना ही मानवीय धर्म और कर्म है |
© कवि आशीष उपाध्याय "एकाकी"
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश
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