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वाक्पटु: धैर्यवान मन्त्री सभायां अपि अकातरः (Vaakpatu dharyvaan mantri in Hindi)

वाक्पटु: धैर्यवान मन्त्री सभायां अपि अकातरः  
(Vaakpatu dharyvaan mantri in Hindi)

vaakpatu dharyvaan mantri in hindi, वाक्पटु: धैर्यवान मन्त्री सभायां अपि अकातरः | स केनापि प्रकारेण परैर्न परिभूयते |
Vakpatu Dhairyvaan mantri in hindi

About
इस श्लोक में एक मंत्री या पदाधिकारी की निपुणता की बात की गई है |

वाक्पटु: धैर्यवान मन्त्री सभायां अपि अकातरः |
स केनापि प्रकारेण परैर्न परिभूयते |

अर्थात्
जो मंत्री बोलने में निपुण अर्थात् सत्य संभाषण में निपुण, धैर्यवान तथा सभा में डरने वाला नहीं है अर्थात् सभा में नहीं डरता है | वह अन्य लोगों अर्थात् दुश्मनों के द्वारा भी किसी भी प्रकार से पराजित नहीं हो सकता |

साधारण शब्दों में -
यदि कोई मंत्री या कोई उच्च पदाधिकारी बहुत ही धैर्य के साथ बोलने में निपुणता का परिचय देते हुए सभा में अर्थात् जनता के सभी प्रश्नों का उत्तर निडर होकर बेझिझक देता है, यह गुण उसके सत्विक भाव को व्यक्त करता है और इससे यह पता लगाया जा सकता है, कि वह मंत्री अन्य लोगों से भी किसी भी प्रकार से द्वंद्व में पराजित नहीं होगा |

संदेश -
जनता को ऐसे व्यक्ति का चुनाव करना चाहिए जो हर तरह की मुसीबतों से लड़ने में सक्षम हो |

© कवि आशीष उपाध्याय "एकाकी"
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश 
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