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षड् दोषाः पुरुषेणेह हातव्या भूतिमिच्छता | (Shad doshah purusheneha in hindi)

षड् दोषाः पुरुषेणेह हातव्या भूतिमिच्छता | 
(Shad doshah purusheneha in Hindi)

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Shad doshah purusheneha in Hindi

About
इस श्लोक के माध्यम से सभी मनुष्यों को सही दिशा दिखाने हेतु छः प्रकार के दुर्गुणों की इशारा किया गया है और ये बताया गया है, कि सभी को इन दुर्गुणों से दूर रहना चाहिए |

षड् दोषाः पुरुषेणेह हातव्या भूतिमिच्छता |
निद्रा तन्द्रा भयं क्रोधः आलस्यं दीर्घसूत्रता ||

अर्थात्
जो व्यक्ति ऐश्वर्य और उन्नति की कामना करने वाले हैं, उन्हें नींद , तन्द्रा (ऊंघना), भय , क्रोध, आलस्य , तथा दीर्घसूत्रता  (शीघ्र हो जाने वाले कार्यों में भी अधिक देरी लगाने की आदत) 
इन छः दुर्गुणों को त्याग देना चाहिये अर्थात् छोड़ देना चाहिए |

संदेश
निद्रा, तंद्रा, भय, क्रोध, आलस्य और कर्म में दीर्घसूत्रता ये छः ऐसे दुर्गुण हैं, जो किसी भी व्यक्ति को बर्बाद करने में पर्याप्त हैं, अतः यदि आप अपने लिए सुख चाहते हैं और अपने जीवन को सुंदर और आनंदमय बनाना चाहते हैं, तो त्वरित इन दुर्गुणों को छोड़ दें !

 © कवि आशीष उपाध्याय "एकाकी"
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश 
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