Ticker

6/recent/ticker-posts

पलायन पर कविता - Palayan par kavita in hindi

पलायन पर कविता
Palayan par kavita in hindi

पलायन पर कविता, palayan par kavita in hindi, palayan par kavita, hindi poem on palayan, poem on palayan in hindi, Best poem on palayan in hindi, hindi
पलायन पर कविता

पलायन ! 
ये शब्द सुनते ही 
उस बटोही की मुरझाई सूरत 
आंखों के सामने आ जाती है | 
और याद आ जाता है, 
उसका मीलों चलना ,
उसका घर पहुंचते ही 
घर की चौखट पे गिर के दम तोड देना | 

सबको जान पड़ा कि वो अब नहीं रहा, 
उसकी नई - नवेली दुल्हन चूड़ियां तोड़ने लगी |
अम्मा गौशाले में दही बना रही थी ,
ये खबर सुनते अम्मा उसी चूल्हे पर गिर पड़ी ,
और लेट गई, प्रकृति की गोद में, हमेशा के लिए |

बिलबिलाते बच्चे, बटोही को ऐसे देख रहे थे,
जैसे संध्या का लाल सूरज आकाश को देखता,
डूब रहा हो | 

बाबूजी तो स्तब्ध होकर खंभे से ऐसे चिपके थे ,
जैसे किसी ने उनको खंभे से ही फांसी लगा दिया हो |
कुछ ही घंटों में अब सारा मंजर बदल चुका था ,
अब घर में थीं , मां और बेटे की दो लाशें , विधवा युवती , बच्चे,
और ज़िन्दगी और मौत से जूझता लाचार बाप !

© कवि आशीष उपाध्याय "एकाकी"
गोरखपुर, उत्तर - प्रदेश 

Image Credit :-  YouQuote

Reactions

Post a Comment

0 Comments