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भगवदगीता अध्याय 2, श्लोक 21 - (वेदाविनाशिनं नित्यं य एनमजमव्ययम्‌)

भगवदगीता अध्याय 2, श्लोक 20 - (वेदाविनाशिनं नित्यं य एनमजमव्ययम्‌)
Bhagwadgeeta Adhyay 2, Shlok 21


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Bhagwadgeeta Adhyay 2, Shlok in Hindi


वेदाविनाशिनं नित्यं य एनमजमव्ययम्‌ ।
कथं स पुरुषः पार्थ कं घातयति हन्ति कम्‌ ॥ 

हे पृथापुत्र! जो मनुष्य इस आत्मा को अविनाशी, शाश्वत, अजन्मा और अव्यय जानता है, वह मनुष्य किसी को कैसे मार सकता है या किसी के द्वारा कैसे मारा जा सकता है? 

-भगवतगीता 
-अध्याय 2, श्लोक 21
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