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भगवदगीता अध्याय 3, श्लोक 18 - (नैव तस्य कृतेनार्थो नाकृतेनेह कश्चन)

भगवदगीता अध्याय 3, श्लोक 18 - (नैव तस्य कृतेनार्थो नाकृतेनेह कश्चन)
Bhagwadgeeta Adhyay 3, Shlok 18 in Hindi

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Bhagwadgeeta Adhyay 3, Shlok in Hindi

नैव तस्य कृतेनार्थो नाकृतेनेह कश्चन ।
 न चास्य सर्वभूतेषु कश्चिदर्थव्यपाश्रयः ॥

संचय ने भगवान श्री कृष्ण की बातों को आगे बढ़ाते हुए कहा .....

उस महापुरुष का इस विश्व में न तो कर्म करने से कोई प्रयोजन रहता है और न कर्मों के न करने से ही कोई प्रयोजन रहता है तथा सम्पूर्ण प्राणियों में भी इसका किञ्चिन्मात्र भी स्वार्थ का संबंध नहीं रहता |

- भगवतगीता
- अध्याय 3, श्लोक 18
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