श्रूयतां धर्म सर्वस्वं श्रुत्वा चैवावधार्यताम्
(sruytam dharm sarvaswam meaning in hindi)
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इस श्लोक में धर्म को धारण करने के साथ साथ समभाव और एकरूपता की बात रखी गई है |
श्रूयतां धर्म सर्वस्वं श्रुत्वा चैवावधार्यताम्।आत्मन्: प्रतिकूलानि परेषां न समाचरेत्।।
अर्थात्
धर्म का सार अर्थात् धर्म क्या कहता है ? उसको भली प्रकार से सुनकर और समझकर अपने जीवन में उस परम ज्ञान को धारण करना चाहिए अर्थात् उसका पालन करना चाहिए | इस बात को विशेष ध्यान रखना चाहिए, कि जो बातें या जो काम स्वयं के लिए हितकर न हों उसे किसी अन्य व्यक्ति से करने के लिए नहीं कहना चाहिए |
संदेश
हमें सबको समान भाव से देखना चाहिए | स्वयं के हित के साथ - साथ सबके हित के बारे में विचार करना चाहिए | यही सच्चा मानव धर्म है |
(विदुरनीति से)
© कवि आशीष उपाध्याय "एकाकी"
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश
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