Ticker

6/recent/ticker-posts

भगवदगीता - अध्याय 3, श्लोक 34 (Bhagwadgeeta Adhyay 3, Shlok 34 in Hindi)

भगवदगीता  - अध्याय 3, श्लोक 34
Bhagwadgeeta Adhyay 3, Shlok 34 in Hindi

भगवदगीता  - अध्याय 3, श्लोक 34 Bhagwadgeeta Adhyay 3, Shlok 34 in Hindi, geeta shlok in hindi, geeta adhyay 3 shlok 34, geeta gyan hindi me, geetagyan
Bhagwadgeeta Adhyay 3, Shlok 34 in Hindi

 इन्द्रियस्येन्द्रियस्यार्थे रागद्वेषौ व्यवस्थितौ ।
तयोर्न वशमागच्छेत्तौ ह्यस्य परिपन्थिनौ ॥

श्री भगवान ने कहा ...

इन्द्रिय-इन्द्रिय के अर्थ में अर्थात प्रत्येक इन्द्रिय के विषय में राग और द्वेष छिपे हुए स्थित हैं। मनुष्य को उन दोनों के वश में नहीं होना चाहिए क्योंकि वे दोनों ही इसके कल्याण मार्ग में विघ्न करने वाले महान्‌ शत्रु हैं ।

- भगवदगीता  
- अध्याय 3, श्लोक 30
Reactions

Post a Comment

0 Comments