Ticker

6/recent/ticker-posts

भगवदगीता - अध्याय 6, श्लोक 17 (Bhagwadgeeta Adhyay 6, Shlok 17 in Hindi)

भगवदगीता  - अध्याय 6, श्लोक 17
Bhagwadgeeta Adhyay 6, Shlok 17 in Hindi

भगवदगीता  - अध्याय 6, श्लोक 17 Bhagwadgeeta Adhyay 6, Shlok 17 in Hindi, geeta shlok hindi me, geeta gyan, geeta adhyay 6 shlok 17 hindi me, geeta
Bhagwadgeeta Adhyay 6, Shlok 17 in Hindi

युक्ताहारविहारस्य युक्तचेष्टस्य कर्मसु ।
युक्तस्वप्नावबोधस्य योगो भवति दुःखहा ॥

श्री भगवान ने कहा ...

दुःखों का नाश करने वाला योग तो यथायोग्य आहार-विहार करने वाले का, कर्मों में यथायोग्य चेष्टा करने वाले का और यथायोग्य सोने तथा जागने वाले का ही सिद्ध होता है । 

- भगवदगीता  
- अध्याय 6, श्लोक 17
Reactions

Post a Comment

0 Comments