भगवदगीता - अध्याय 5, श्लोक 23
Bhagwadgeeta Adhyay 5, Shlok 23 in Hindi
शक्नोतीहैव यः सोढुं प्राक्शरीरविमोक्षणात् ।
कामक्रोधोद्भवं वेगं स युक्तः स सुखी नरः ॥
श्री भगवान ने कहा ...
जो साधक इस मनुष्य शरीर में, शरीर का नाश होने से पहले-पहले ही काम-क्रोध से उत्पन्न होने वाले वेग को सहन करने में समर्थ हो जाता है, वही पुरुष योगी है और वही सुखी है ।
- भगवदगीता
- अध्याय 5, श्लोक 23
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