भगवदगीता अध्याय 2, श्लोक 59 - (विषया विनिवर्तन्ते निराहारस्य देहिनः)
Bhagwadgeeta Adhyay 2, Shlok 59 in Hindi
विषया विनिवर्तन्ते निराहारस्य देहिनः ।
रसवर्जं रसोऽप्यस्य परं दृष्टवा निवर्तते ॥
श्री भगवान ने कहा -
इन्द्रियों द्वारा विषयों को ग्रहण न करने वाले मनुष्य के विषय तो मिट जाते हैं, परन्तु उनमें रहने वाली आसक्ति बनी रहती है, ऎसे स्थिर बुद्धि वाले मनुष्य की आसक्ति भी परमात्मा का साक्षात्कार करके मिट जाती है |
- भगवतगीता
- अध्याय 2, श्लोक 59
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