भगवदगीता - अध्याय 6, श्लोक 44
Bhagwadgeeta Adhyay 6, Shlok 44 in Hindi
पूर्वाभ्यासेन तेनैव ह्रियते ह्यवशोऽपि सः ।
जिज्ञासुरपि योगस्य शब्दब्रह्मातिवर्तते ॥
श्री भगवान ने कहा ...
वह (यहाँ 'वह' शब्द से श्रीमानों के घर में जन्म लेने वाला योगभ्रष्ट पुरुष समझना चाहिए।) श्रीमानों के घर में जन्म लेने वाला योगभ्रष्ट पराधीन हुआ भी उस पहले के अभ्यास से ही निःसंदेह भगवान की ओर आकर्षित किया जाता है तथा समबुद्धि रूप योग का जिज्ञासु भी वेद में कहे हुए सकाम कर्मों के फल को उल्लंघन कर जाता है ।
- भगवदगीता
- अध्याय 6, श्लोक 44
0 Comments
Please do not enter any spam link in the comment box.
Emoji