Bhagwat Geeta Shlok
दुःखेष्वनुद्विग्नमनाः सुखेषु विगतस्पृहः।
वीतरागभयक्रोधः स्थितधीर्मुनिरुच्यते ॥
भावार्थ :
प्रस्तुत श्लोक में योगेश्वर श्री कृष्ण के द्वारा स्थिर बुद्धि पुरुष के लक्षणों के बारे में बताया गया है : जिसमें वे कहते हैं....
दुःखों की प्राप्ति होने पर जिसके मन में उद्वेग नहीं होता, सुखों की प्राप्ति में सर्वथा निःस्पृह है तथा जिसके राग, भय और क्रोध नष्ट हो गए हैं, ऐसा मुनि स्थिरबुद्धि कहा जाता है॥
भगवतगीता.....
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