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स्वगृहे पूज्यते मूर्खः स्वग्रामे पूज्यते प्रभुः - (Sanskrit thought with hindi meaning)

स्वगृहे पूज्यते मूर्खः स्वग्रामे पूज्यते प्रभुः - 
(Sanskrit thought with Hindi meaning)

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Sanskrit thought with Hindi Meaning

About
प्रस्तुत श्लोक मनुष्य के गुणों और उसके गुणों के द्वारा विभिन्न स्थानों पर उसकी स्थिति को प्रकाशित किया गया है |

स्वगृहे पूज्यते मूर्खः स्वग्रामे पूज्यते प्रभुः।
स्वदेशे पूज्यते राजा विद्वान्सर्वत्र पूज्यते॥

अर्थ :-
मूर्ख की अपने घर पूजा होती है, मुखिया की अपने गाँव में पूजा होती है, राजा की अपने देश में पूजा होती है, विद्वान् की सब जगह पूजा होती है |

- चाणक्य निति से 

© कवि आशीष उपाध्याय "एकाकी"
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश  
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