Geeta Updesh Quotes:-मनुष्यों में बुद्धिमान कौन है ?
Geeta Updesh Quotes:-मनुष्यों में बुद्धिमान कौन है ?
कर्मण्य कर्म यः पश्येदकर्मणि च कर्म यः ।
स बुद्धिमान्मनुष्येषु स युक्तः कृत्स्नकर्मकृत् ॥
अर्थ :- जो मनुष्य कर्म में अकर्म देखता है और जो अकर्म में कर्म देखता है, वह समस्त मनुष्यों में बुद्धिमान है तथा वह मनुष्य समस्त कर्मों को करते हुये भी सांसारिक कर्मफ़लों से मुक्त रहता है।
व्याख्या :- उपरोक्त श्लोक में श्री कृष्ण जी के द्वारा स्पष्ट रूप से कहा जा रहा है कि , शुद्ध अंतःकरण वाले व्यक्ति ज्ञानवान होने पर भी कभी सन्यास ग्रहण नहीं करते, अपितु निष्काम कर्मयोग के द्वारा कर्म करते हैं | वे ऐसा देखते हैं कि यह कर्म नहीं है , अतः वे कर्म में नहीं बँधते- ऐसे मनुष्य कर्म में भी अकर्म देखने वाले होते हैं।
दूसरे मनुष्य जो जिनमे तत्वज्ञान का अभाव है, जो केवल शास्त्रोक्त ज्ञान रखने वाले हैं और प्रकृति को ही सर्वस्व समझने वाले हैं एवं प्रकृति के नियत कर्म करने वाले हैं, वे मनुष्य अकर्म में भी कर्म देखने वाले होते हैं।
इस प्रकार उपरोक्त कर्म करते हुए दोनों प्रकार के व्यक्ति समस्त कर्मों को करते हुये भी सांसारिक कर्मफ़लों से मुक्त रहते है। वे ही बुद्धिमान कहे गए हैं।
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